दोस्तों आज हम अपने समाज को संघठित और एक साथ देखना चाहते है आज गुर्जर समाज के संघठित होने की सबसे जयादा जरुरत भी है और समय की मांग भी है जिसके लिए हमारे समाज के बहुत से भाई और बहन काफी समय से कोशिश भी कर रहे है लेकिन सवाल ये है की
क्या हमारा समाज संघठित होने के लिए तेयार है. शायद नहीं,,,,
हमारा समाज जोकि भारत देश के कोने कोने में फेला हुआ है सभी अलग अलग तरह के रीती रिवाज है क्या हमने एक दुसरे के रीती रिवाजो को समझने की कोशिश की है ........
शायद नहीं......
आज हम कहते है की हम सब गुर्जर एक है लेकिन क्या यह सच है शायद नहीं ........
इन सभी शायद के जबाब हमें जल्दी ही तलाश करने होंगे तभी हमलोगों को कामयाबी मिल सकती है मुझे लगता है की आज भी हम टुकडो में बटे हुए है. हमारी कुछ सीमाए तय हो चुकी है जिनसे हम बहार ही नहीं आना चाहते और जब तक हम इन सीमओं से बहार आकर एक दुसरे के रीती रिवाजो को नहीं पहचानेगे,,,, एक दुसरे के साथ अच्छे रिश्ते नहीं बन सकते ....
जब हम एक दुसरे के साथ मेल जोल बढ़ाएंगे तभी एक दुसरे को बेहतर तरीके से समंझ सकते है और समाज जल्दी संघठित होगा मेरे ख्याल से कुछ तरीके है जिनसे हम इन दूरियों को कुछ हद तक कम कर सकते है
1.
एक ऐसा संघठन तेयार करके जिसमे समाज का हर जगह और हर तबके का आदमी जुडा रहे और ये संघठन समय - समय पर अलग - अलग जगह पर सामाजिक कार्यकर्म आयोजित करे जिसमे समाज एक दुसरे के साथ आमने सामने हो.
2.
कोई एक ऐसा तरीका निकलना जिसके द्वारा पुरे समाज में एक दुसरे की खबरों आदि का आदान प्रदान होता रहे
3.
समाज में एक दुसरे के प्रति विशवाश कायम करना
4.
शादी विवाह एक ऐसा तरीका है जो बहुत जल्दी मेलजोल बढ़ाने में सहायक सिद्ध होता है हमारे समाज को संगठित होने के लिए एक दुसरो के साथ शादी विवाह के सम्भन्ध शुरू करने चाहिए ताकि समाज को बहुत कम समय में एक दुसरे के साथ जोड़ा जा सके
ये मेरी अपनी निजी राय है हो सकता है की आप इससे सहमत हो और ये भी हो सकता है की आप मेरे विचारो से सहमत न हो ............ लेकिन ये अटल सच है की आज हमें संघठित होने की जरुरत है
आपके विचरो का स्वागत है मेरी आपसे विनती है अपने विचार जरुर प्रकट करे
आपके विचरो का स्वागत है मेरी आपसे विनती है अपने विचार जरुर प्रकट करे
आपका
चौधरी जितेन्द्र गुर्जर बुढ़ेदा
चौधरी जितेन्द्र गुर्जर बुढ़ेदा
AAJ SE HI KOSISH SURU KARO BHAI JAAN
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