: yiiX1RA5bZrmoXYgkLvmMW-Ywi0 MIHIR BHOJ NAYI DISHA GROUP: April 2012

27/04/2012

Vijay Singh Pathik (gurjar freedom fighters)

VIJAY SINGH PATHIK
विजय सिंह पथिक 
विजय सिंह पथिक उर्फ ​​भूप सिंह गुर्जर (1882-1954) का जन्म गुलावठी, जिला बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश, भारत में एक गुर्जर परिवार में हुआ था विजय सिंह पथिक के पिता का नाम हमीर सिंह गुर्जर और माँ का नाम कमल कुंवारी था विजय सिंह पथिक के  पिता हमीर सिंह गुर्जर पिता ने  भी 1857 के सिपाही विद्रोह में सक्रिय भाग लिया था विजय. सिंहपथिक का असली नाम भूप सिंह गुर्जर था लेकिन 1915 में लाहौर षड्यंत्र मामले  में भूप सिंह का नाम आने के बाद उनके घरवालो ने उनका नाम बदल कर विजय सिंह पथिक कर दिया. बुलंदशहर जिले 1857 में के संघर्ष में अपने दादा के बलिदान, और अपने पिता 1857 के सिपाही विद्रोह में योगदान ने विजय सिंह पथिक को देश की आजादी में योगदान देने के लिए प्रभावित किया और विजय सिंह पथिक किशोरावस्था में क्रांतिकारी संगठन में शामिल हो गए भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ सक्रिय भाग लिया.  और राजस्थान में स्वतंत्रता आंदोलन की मशाल जलाई
विजय सिंह पथिक एक महान देशभक्त और स्वतंत्रता सेनानी थे विजय सिंह पथिक एक कवि, लेखक और पत्रकार भी थे वह राजस्थान, केसरी, और नवीन राजस्थान के संपादक थे. उन्होंने अपने हिन्दी स्वतंत्र साप्ताहिक, राजस्थान सन्देश और अजमेर से नव सन्देश शुरू किया था विजय सिंह पथिक तरुण राजस्थान, हिंदी साप्ताहिक के माध्यम से अपने विचार भी व्यक्त करते थे. लेखक के रूप में भी वह अपने प्रसिद्ध पुस्तकों अजय (उपन्यास) मेरु, पथिक प्रमोद (कहानियों का संग्रह), आदि लिखी थी बहादुर दिल विजय सिंह पथिक  जी की 1954 में अजमेर राजस्थान में मृत्यु हो गई, और भारत माता का यह कर्न्तिकारी लाल हमेशा के लिए धरती माता की गोद में सो गया आज भी विजय सिंह पथिक जी के नाम से अनेक स्कूल कालेज और संस्थाए चल रही है सदियों तक इस भारत माता के सपूत और वीर गुर्जर विजय सिंह पथिक का नाम हमेशा इज्ज़त के साथ लिया जाता रहेगा.
भारत सरकार ने विजय सिंह पथिक का एक डाक टिकट जारी कर इस महान आदमी को श्रद्धांजलि अर्पित की है लेखक डॉ. पदम सिंह वर्मा ने विजय सिंह पथिक के जीवन पर आधारित विजय सिंह पथिक नमक पुस्तक लिखी है
 शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मिटने वालो का यही बाकि निशान होगा
 

आपका 


चौधरी जितेन्द्र अच्छवान गुर्जर
Email : jitender.gurjar@yahoo.com &  mihirbhojnayidishagrup@gmail.com

13/04/2012

Rukhsana Kausar the Great Gurjar Girls


रुखसाना कौसर (एक  गुज्जर लड़की) का जन्म  1989 थाना मंडी, अपर कलसी, शाहदरा शरीफ, जिला राजौरी, जम्मू और कश्मीर भारत में पिता नूर हुसैन गुज्जर  और माता रशीदा बेगम गुज्जर  के घर में हुआ था जुलाई 2009 में रुखसाना कौसर  का एजाज समीर और उसके साथियों के द्वारा अपहरण कर लिया था. इस घटना  
के दो महीने बाद  लश्कर - - तैयबा के उग्रवादी, रविवार, 27 सितंबर, 2009 में 9:30 के आस पास बजे रात को, रुखसाना कौसर के घर  उसका अपहरण करने के इरादे से आये. जब रुखसाना कौसर के पिता नूर हुसैन ने दरवाजा नहीं खोला तो वो तीनो उग्रवादी मकान की खिड़की तोड़कर अन्दर घुस गए आतंकवादियों ने मांग की रुखसाना को उन्हें सौंप दिया जाये, आतंकवादियों का रुखसाना के माता पिता और उसके भाई एजाज़ ने विरोध किया तो आतंकवादियों ने उनको रायफल की बटो से मरना शुरू कर दिया, उसी समय रुखसाना के हाथ में एक कुल्हाड़ी गयी और उसने कुल्हाड़ी लश्कर - - तैयबा के आतंकवादी के सर में दे मारी, तभी दुसरे आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरु कर दी रुखसाना ने लश्कर - - तैयबा के आतंकवादी  की 47 के राइफल छीन ली और अपने भाई एजाज की तरफ फेक दी, और दुसरे घायल आतंकवादी की रायफल उठा कर लश्कर - - तैयबा के  आतंकवादी  को रुखसाना ने गोली मार दी, लश्कर - - तैयबा के आतंकवादी  की वही पर मौत हो गई, रुखसाना और उसके भाई ने अन्य आतंकवादियों पर गोली चलाई, जिस उन्हें वहा से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा, उसके बाद उन दोनों भाई - बहन ने शाहदरा शरीफ पुलिस पोस्ट तक जाने के लिए अपने परिवार का नेतृत्व किया रास्ते में, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आतंकवादी उनसे दूर रहे, उसका भाई एजाज और रुखसाना 47 के राइफलों से हवा में गोली चलाते रहे, तब जाकर वो अपने परिवार के साथ शाहदरा शरीफ पुलिस पोस्ट पहुंच पाए बाद में मारे गए आतंकवादी की पहचान अबू ओसामा, जो लश्कर - - तैयबा के कमांडर के रूप हुई 
 
इसके बाद भी रुखसाना कौसर (गुर्जर) के घर पर कई बार आतंकवादी हमले हुए लेकिन सरकार द्वारा उन्हें पहले से ही एक उच्च सुरक्षा पुलिस कॉलोनी में स्थानांतरित कर दिया गया था
बाद में रुखसाना कौसर और उसके भाई एजाज गुर्जर की वीरता और साहस को सलाम करते हुवे राज्य सरकार, सरकार केंद्र और विभिन लोगो द्वारा बहुत से सम्मानों सम्मानित किया गया 
(1)  जम्मू - कश्मीर सरकार ने रुखसाना कौसर को  न्यूनतम 5000 रुपए का नकद पुरस्कार दिया है. 
(2)  7 अक्टूबर, 2009 को , केंद्र सरकार रुखसाना के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार की घोषणा
(3)  4 नवंबर, 2009 , को जयपुर में दुर्गापुरा में आयोजित एक स्वागत समारोह के दौरान रानी झांसी बहादुरी पुरस्कार दिया गया था.
(4)  अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी फ्रंट के द्वारा सरदार पटेल एक पुरस्कार और लाख रुपए के नकद पुरस्कार
(5)  आस्था वेलफेयर सोसाइटी, नाहन के द्वारा 1 लाख रुपए की नकद पुरस्कार
(6)  8 जनवरी, 2010 ,को भारत के राष्ट्रपति ने रुखसाना के लिए सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक की घोषणा की

 

 (8)  दिवस गणतंत्र, 25 2010 जनवरी की पूर्व संध्या पर, रुखसाना और उसके भाई, एजाज, को उनकी बहादुरी के कार्य के लिए कीर्ति, चक्र (सर्वोच्च शांतिकाल में वीरता) पुरस्कार से सम्मानित किया गया

रुखसाना कौसर (गुर्जर) जिन्होंने अपने अदम साहस और वीरता का परिचय देते हुए अपना और अपने समाज का नाम रोशन किया है वह जगह जहां रुखसाना का घर स्थित है, राजौरी जिले के शाहदरा शरीफ भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच संघर्ष विराम रेखा से (32 किमी) दूर है. लश्कर के उग्रवादी समूह के छुपे होने की एक जगह के रूप में जाना जाता यह घने जंगलों के करीब है.आसपास के गांवों में, आतंकवादि अक्सर भोजन और आवास की मांग करते. है यह ज्यादातर गाँव पहाड़ पर रहने वाले गुर्जरों के है हम अंदाज़ा लगा सकते है की वह हमारे भाई और बहने कितनी सुरशित है इतिहास गवाह है की कश्मीर में आतंकवादी गतिविधिओ के बारे में पुलिसे और फोज की जितनी सूचनाये गुर्जर समाज के लोगो ने दी है उतनी किसी और ने भी दी होंगी उसका कारन ये है गुर्जर पशु पालन और भेड़ पालन के लिए जंगलो में जाते है जहा उन्हें आतंकवादी गतिविधिओ के बारे में पता चल जाता और एक कड़वा सच ये भी है की अतंकवादियो और फोज दोनों के गुस्से का शिकार वह के गुर्जर समाज को ही होना पड़ता है पता नहीं जम्मू कश्मीर में हमारे गुर्जर समाज की दशा में सूधार होगा

 
में रुखसाना कौसर (गुर्जर) की हिम्मत, और साहस, को सतत नमन करता हु जिन्होंने अपनी हिम्मत,और साहस से गुर्जर समाज का नाम रोशन किया है ये है  गुर्जर की बेटी जिस पर हमें नाज़ है
 
आपका 


चौधरी जितेन्द्र अच्छवान गुर्जर
Email : jitender.gurjar@yahoo.com &  mihirbhojnayidishagrup@gmail.com

 गुर्जर समाज की और बेटियों की कहानी आगे भी जरी रहेगी ...... थोडा सो इंतजार कीजिये